लखनऊ। 24 दिसम्बर, 2022 डॉ० सै0 अली शब्बर रिज़वी संदीलवी मरहूम (पूर्व विभागाध्यक्ष, एशियन कल्चर, शिया पी0जी0 कालेज) के देसे की मजलिस का आगाज़ कारी नदीम नजफ़ी ने तिलावते कलामे-पाक से किया जिसके बाद शायरे अहलेबैत शकील सन्दीलवी, शोर मलिहाबादी, अंजुम गदीरी, मोहर्रम अली वगैरह ने नज़रान-ए-अकीदत पेश किया इसके अलावा सोज़ो सलाम हादी रज़ा और उनकी संगत ने पेश किया, जिसके बाद फ़ख़रे मिल्लत मौलाना डॉ० यासूब अब्बास साहब ने पैग़म्बरे इस्लाम की इस हदीस के साथ मजलिस का आग़ाज़ किया कि “मैं इल्म का शहर हूँ और अली अ०स० उसके दरवाज़ा” जिसके बाद मौलाना मौसूफ ने हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम और हज़रत अली अ०स० के फ़ज़ाएल और तालीमात का ज़िक्र किया। आखिर में मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन अ0स0 पर करबला में हुइ मुसीबतों का जिक्र करके मजलिस का समापन किया। इस मौके पर काफी तादाद में धर्मगुरू, शिक्षक (प्रोफेसर) और मोमिनीन ने शिरकत की। आखिर में मरहूम के बेटे डॉ० सरताज शब्बर रिज़वी ने मजलिस में उपस्थित लोगों का शुक्रिया अदा किया।
पैग़म्बरे इस्लाम डॉ० सै0 अली शब्बर रिज़वी की मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने ख़िताब किया
