हिजाब इस्लामी शरीअत का ओदश हैः मौलाना खालिद रशीद
परदे पर पाबन्दी हिन्दुस्तान के संविधान के खिलाफ
लखनऊ, 13 अक्तूबर।
हिजाब का हुक्म मुस्लिम औरतों के लिए इसी तरह जरूरी है जिस तरह नमाज़, रोजा, जकात और अन्य इस्लामी आदेश जरूरी हैं। खुदा पाक ने सूरह नूर और सूरह अहजाब में परदे के सिलसिले में खुले आदेश दिये हैं। उन पर रसूल पाक (सल्ल0) की बीवियो (रजि0)ं, बेटियों (रजि0)ं और तमाम सहाबियात (रजि0)ं,ने पूरी तरह अमल किया।
इन ख्यालात का इज्हार इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया लखनऊ ने किया। वह आज हिजाब के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के सिलसिले में पत्रकारों से सम्बोधित थे।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि यह बात गलत और इस्लामी शरीअत के खिलाफ प्रोपैगंडे पर आधारित है कि वह हिजाब इस्लाम का बुनियादी हुक्म नही है। उन्होने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धोलिया की प्रशंसा की जो उन्होने हिजाब के फैसले में पेश किया कि शिक्षा का अधिकार एक अहम् और बड़ी समस्या है। धर्म की आजादी और निजी चुनाव का अधिकार सबको प्राप्त है। मौलाना कहा कि हिजाब मामला सूप्रीम कोर्ट की लाजर्र बेंच को देना अच्छा है। उन्होने उम्मीद जाहिर की फाइनल फैसले में इस हकीकत को जरूर द्रष्टिगत रखा जायेगा कि हिजाब इस्लामी शरीअत का अनिवार्य हिस्सा है।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि हमारे देश की संविधान की धारा 21 और 25 इन औरतों को यह कानूनी अधिकार उपलब्ध कराती हैं कि वह अपनी इच्छा से हिजाब के धार्मिक आदेश पर अमल करें।
उन्होने कहा कि देश की पुरानी सभ्यता रही है कि लड़कियॉ और औरतें अपने बड़ों के एहतिराम में दोपट्टे, चादर और घॅूघट से अपने सरों को ढॉकती हैं। इस लिए अगर मुस्लिम बच्चियॉ अपने अध्यापकों के सामने उनकी इज्जत व एहतिराम में अपने सर ढॉक रही हैं तो इसमें किसी को तकलीफ क्यों हो रही हैं? उन्होने कहा कि अन्य धर्म की तरह बच्चियों को भी अपनी मर्जी के लिबास और हिजाब की संवैधानिक आजादी प्राप्त है। उनका यह संवैधानिक अधिकार किसी को भी छीनने का अधिकार प्राप्त नही है।
मौलाना फरंगी महली ने अपने बयान में कहा कि आज पश्छिमी देश जैसे अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड जैसे देश में मुस्लिम बच्चियॉ बड़ी संख्या में पूरी आजादी के साथ हिजाब में रह कर स्कूलों, कालिजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और उनको कोई रुकावट नही हो रही है। लेकिन हमारा देश जो पूरी दुनिया में अपनी सेक्युलर सभ्यता और गंगा जमनी सभ्यता के लिए मशहूर है उसमें इस प्रकार की समस्याओं को पैदा करना बहुत अफसोसनाक और निन्दनीय है।
उन्होने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार हिजाब का मामले के कारण 17 हजार क्षात्राओं को परीक्षायें और शिक्षा छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। यह कार्य औरतों को शिक्षा मुहैय्या कराने वालों के लिए बहुत मायूस करने वाली है।
मौलाना फरंगी महली ने मुसलमानों और विशेषकर मुस्लिम औरतों पर जोर दिया कि वह शरअई अहकाम पर अमल करें और हालात से ना उम्मीद न हों।
हिजाब इस्लामी शरीअत का ओदश हैः मौलाना खालिद रशीद
