उत्तर प्रदेश में कम्प्लीट लॉकडाउन की खबरों को सरकार ने बताया अफवाह, कहा- ऐसा कोई विचार नही

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कम्प्लीट लॉकडाउन लगाने की खबरों को यूपी सरकार ने अफवाह और झूठा करार दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश में फिर से कम्प्लीट लॉकडाउन लगाने की झूठी रिपोर्टों को प्रसारित किया जा रहा है। इसे अनदेखा करें। सोशल मीडिया पर प्रसारित खबरों में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया जा रहा है, जिसमें कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को कम्प्लीट लॉकडाउन का दिया सुझाव दिया है। दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण से बढ़ रही मौतों पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने रोडमैप पेश कर संक्रमण फैलाव रोकने के कदम उठाने का आश्वासन दिया, किंतु जिला प्रशासन बिना जरूरी काम के घूमने वालों, चाय पान की दुकान पर भीड़ लगाने वालों पर नियंत्रण करने में नाकाम रहा। पुलिस बिना मास्क लगाए निकलने व शारीरिक दूरी का पालन न करने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया, चालान काटा, फिर भी लोग जीवन की परवाह नहीं कर रहे। कोर्ट ने कहा कि ब्रेड बटर और जीवन में चुनना हो तो जीवन ज्यादा जरूरी है। एक पखवाड़ा लॉकडाउन लगा दिया जाता है तो  लोग भूख से नहीं मरेंगे। सरकार को संक्रमण फैलाव रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को रोडमैप और कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 28 अगस्त को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि लॉकडाउन के बाद अनलॉक कर अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना संक्रमण रोकने का कोई एक्शन प्लान तैयार किया गया था। यदि प्लान था तो उसे ठीक से लागू क्यों नहीं किया गया? कोर्ट ने कहा कि सरकार के जारी आदेशों से साफ है कि कोई केंद्रीय प्लानिंग नहीं थी। मुख्य सचिव बताएं कि ऐक्शन प्लान लागू करने मे नाकाम अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी? कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूरी जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।