अलमे सक्काए सकीना
जो हर साल सात मोहर्रम को शिया कॉलेज विक्टोरिया स्ट्रीट लखनऊ में अन्जुमने अत्फाले हुसैनी (मरहूम डा. शहजादे इशरत की बिनाकर्दा) मजलिस के फौरन बाद उठाती थी और या अब्बास अल अतश व या सकीना या अब्बास की सदाओ के साथ सीनाजनी करती थी। इस साल कोविड 19 के कारण सरकार तथा स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन को देखते हुए अलम बरामद नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि जुलूसो पर पाबंदी से पहले यह अलम इमामबाडा नाजिम साहब से उठकर इमामबाडा आगा बाकर जाता था जिसमें मरहूम डा. शहजादे इशरत के हमराह अलम के साथ हाथों में परचम लिए हाथी और ऊंट पर बच्चे मातम करते हुए और कुछ बच्चे हाथों में खाली कूजे लिए हुए या अब्बास अल अतश करते हुए जाते थे। जिसमें भारी संख्या में मातम करते हुए लोग जुलूस में शामिल होते थे