दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति में हृदय प्रक्रिया द्वारा लारी कार्डियोलाजी में एक साथ बचाई गई तीन जान


(सत्ता की शान)
लखनऊ सोमवार 06 जनवरी ं हृदय रोगी में गर्भावस्था जानलेवा है। यह भ्रूण की हानि के साथ-साथ मातृ मृत्यु का एक बड़ा कारण है। इसी वजह से कुछ हृदय रोग में गर्भधारण वर्जित है। इसके बावजूद हृदय रोग से पीड़ित कई गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के उन्नत चरण में हमारे पास आती हैं। इस समय हृदय की स्थिति के साथ उनकी गर्भावस्था का प्रबंधन करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।बाराबंकी से 6 महीने की गर्भावस्था वाली 28 वर्षीय महिला सांस की तकलीफ के साथ स्त्री एवं प्रसूति विभाग में आई थी। उसे कार्डियोलाजी विभाग में रेफर किया गया, जहां पाया गया कि उसके हृदय के एक वाल्व (माइट्रल स्टेनोसिस) में गंभीर संकुचन है।यह विकट स्थिति थी और समय पर इलाज न होने पर मृत्यु की अत्यधिक संभावना थी। गर्भावस्था स्वयं हृदय पर अतिरिक्त बोझ डालती है। यह मरीज तो अत्यंत जोखिम वाले हृदय रोग से पीड़ित थी, गर्भावस्था ने इस खतरे को कई गुणा बढ़ा दिया।इसके अतिरिक्त कम वजन (35 किलोग्राम), खून की कमी (एनीमिया), हेपेटाइटिस सी संक्रमण (जिससे आपरेटरों को संक्रमण फैलने का खतरा था) और जुड़वां भ्रूण ने स्थिति को घनघोर चुनौतीपूर्ण बना दिया। महिला को बैलून माइट्रल वाल्वोटामी की आवश्यकता थी। तीन जीवन को बचाने के लिए संभावित खतरों के साथ मरीज का आपरेशन करने का निर्णय ले लिया गया। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियोलाजी विभाग में मरीज का बैलून माइट्रल वाल्वोटामी की गई। यह प्रक्रिया डा ऋषि सेठी के मार्गदर्शन में डा प्रवेश विश्वकर्मा द्वारा की गई। विकट गंभीर स्थिति को संभालने में डा मोनिका भंडारी, डा प्राची शर्मा, डा गौरव चैधरी, डा अखिल शर्मा और डा उमेश त्रिपाठी ने सहायता प्रदान की। यह प्रक्रिया सफल रही और रोगी को उसके लक्षणों से राहत मिली। अब माँ और भ्रूण दोनों स्वस्थ थे। इस जीवन रक्षक उच्च जोखिम प्रक्रिया के माध्यम से हम तीन लोगों की जान बचाने में समर्थ रहे। प्रसूति विभाग से रोगी की देखभाल प्रो अमिता पाण्डे, प्रो अंजू अग्रवाल, प्रो शालिनी एवं प्रो नम्रता द्वारा की गई। इस दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति के सफल प्रबंधन पर माननीय कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई देते हुए जुड़वाँ भ्रूणों को धारण किए 35 किलोग्राम से कम वजन वाली गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के लारी कार्डियोलाजी के प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा की। प्रो ऋषि सेठी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान इस तरह के रोगी का आपरेशन करना बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन परिणाम सुखद है। रोगी बहुत गरीब थी और उसके पास पैसे नहीं थे। यह प्रक्रिया विपन्ना योजना के अंतर्गत की गई, जिसे राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। कुलपति द्वारा राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया गया। हृदय रोग से पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए,आइसीएमआर के मार्गदर्शन में एक कार्डियो-प्रसूति देखभाल कार्यक्रमरू राष्ट्रीय गर्भावस्था और हृदय रोग अध्ययन शुरू किया गया है जो कई मातृ और भ्रूण के जीवन को बचाने में मदद करेगा।