प्रेस विज्ञप्ति
खुदा की राह मे गुनाहों की क्षमा का साधन है क़ुर्बानी- मौलाना सैफ अब्बास
लखनऊ, 12 जून 2024ः शिया धर्मगुरू मौलाना सै0 सैफ अब्बास ने एक बयान में कहा कि ‘‘कुर्बानी‘‘ शब्द ‘‘कुर्बान‘‘ से बना है, जिसका अर्थ है कि क़ुर्बानी के माध्यम से खुदा से निकटता प्राप्त की जाती है, चाहे वह किसी जानवर की कुर्बानी करके या दान देकर है। कुर्बानी हज मे अनिवार्य है। और बकिया लोगो को कुर्बानी की ताकीद की गई है। है। इमाम सादिक (अ0स0) से कुर्बानी के कारण और ज्ञान के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने आप ने कहाः ‘‘जब कुर्बानी के जानवर के खून की पहली बूंद जमीन पर टपकती है, तो अल्लाह कुर्बानी करने वाले के सभी गुनाहोें को क्षमा कर देता है और इसके माध्यम से जाना जाता है कि कौन मुत्तकी और परहेज़गार है। ‘‘ हजरत अली (अ0स0) ने फरमाया हैंः यदि लोगों को पता चल जाए कि कुर्बानी का कितना लाभ है, तो वे हर साल कुर्बानी करते, भले ही उन्हें कर्ज़ लेना पड़े।
मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति कुर्बानी की महानता को समझता है, तो वह खुद को इससे अलग नहीं होने देता। कुर्बानी मे खुलूस होना अनीवार्य है यदि कोई आदमी अपने क्षेत्र की जनता को दिखाने के लिए महंगा बकरा खरीदे तो यह अच्छी बात नही होगी क्यो कि अल्लाह नियत देखता है पैसा नही देखता। गरीबों की मदद करने के बारे में, पैगंबर (स0अ0) ने कहा कि कुर्बानी इस लिए है कि गरीबों को इस से लाभ मिल सके।
मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कहा कि कुर्बानी गुनाहों की क्षमा का एक साधन है। कुरान में खुदा का एलान हैं कि ‘‘न तो जानवरों का मांस और न ही खून खुदा तक पहुंचेगा, केवल आपका इरादा और नियत उस तक पहुंचती है।
मौलाना सै0 सैफ अब्बास ने कहा कि लोग कुर्बानी के मांस को फ्रिज में न रखें बलकि जितना हो सके इसे गरीबों में बांट दें ताकि कुर्बानी का मकसद हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि कुर्बानी आम रास्तों पर ना की जाए और जो गंदागी जानवर से निकलती है उसकों रास्तों मे ना फेका जाए बल्की नगर निगम के द्वारा चिंहित जगहों पर फेका जाए ताकि किसी आदमी को कोई परेशनी ना हो चूँकि इस्लाम ने स्वच्छता को आस्था की निशानी घोषित किया है और कुर्बानी करने वालों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे देश में जिन जानवरों पर पाबंदी है उनकी कुर्बानी न करें और कुर्बानी करते समय का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल न करें।
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