रोज़ेदारों के लिए जन्नत में एक अलग दरवाज़ा है मौलाना खालिद रशीद दरगाह शाह मीना शाह में जुमे की नमाज़ से पहले इमाम ईदगाह का खिताब लखनऊ, 22 मार्च रमजानुल मुबारक के दूसरे जुमे को मस्जिद दरगाह शाह मीना शाह चौक लखनऊ में अपने खुतबे में चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने कहा कि इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ो पर है। वह पाँच चीज़े ईमान, नमाज़, ज़कात, रोजा और हज है। कुरान शरीफ में अल्लाह ने रोजे के बारे में सूरह बकरः की आयत 183 में फरमाया है कि “ऐ ईमान वालों तुम पर रोजे रखना फर्ज किया गया है जैसे कि तुम से पहली उम्मतों पर भी फर्ज किया गया था ताकि तुम में तवे की सिफत पैदा हो।उन्होंने कहा कि खुदा पाक ने तमाम मुसलमानों को रमजान-उल-मुबारक के पूरे महीने रोजे रखने का हुकुम दिया है और जो भी बगैर किसी जायज़ मजबूरी के रमज़ान-उल-मुबारक का एक रोज़ा भी छोड़ दे तो वह बहुत ही सखत गुनहगार होगा और फिर रमजान-उल-मुबारक के अलावा वह शख्स चाहे दूसरे महीने में रोजे रखता रहे उसको वह सवाब और बरकतें हासिल नही होंगी।
मौलाना ने कहा कि रोजा एक ऐसी अजीम इबादत है कि जिसमें इन्सान के पास रूपया पैसा, खाने पीने का समान होने के बावुजूद भी, सहरी के वक़्त के बाद से इफ्तार के वक्त तक कुछ न खा सकता है न पी सकता है और न ही कोई भी गैर शरई या गैर इस्लामी काम कर सकता है, रोज़ेदार को इस पूरे मुबारक महीने में अपने नफ्स को और अपनी ख़्वाहिशात को अपने काबू में रखने की ट्रेनिंग दी जाती है। एक रोज़ेदार अल्लाह के वास्ते अपनी ख्वाहिशों और लज़्ज़तों को कुर्बान करता है इसलिए अल्लाह ने इसका सवाब भी सबसे निराला और बहुत जियादा रखा है। इसके बारे में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने हदीस शरीफ में फरमाया कि “बन्दों के सारे नेक आमाल के सवाब का एक कानून मुकर्रर है और हर अमल का सवाब उसी मुकर्ररह हिसाब से दिया जायेगा लेकिन रोजा इस आम कानून से अलग है। उसके मुताबिक अल्लाह का इरशाद है कि बन्दा रोज़े में मेरे लिए अपना खाना पीना और अपने नफ्स की शहवत को कुर्बान करता है इस लिए रोज़े का इनाम बन्दे को मै खुद दूँगा। जन्नत में एक दरवाजा है जिसका नाम रैय्यान है जो विशेषकर रोज़े दारों के लिए ही है उससे सिर्फ रोज़े दार ही प्रवेश करेंगे।
उन्होने कहा कि दारूल इफ्ता फरंगी महल ने इस साल 65 रूपये सदका फित्र का ऐलान किया है। इस लिए सदका फित्र लोग जरूर अदा करें ताकि ईद की खुश्यिों में गरीब लोग भी शामिल हो सकें।