मोहम्मद रफ़ी के गाए गीतों को सभी धर्मों में श्रद्धा से सुना जाता हैः डॉ. मंसूर हसन ख़ान
लखनऊ। मसरूर एजुकेशनल सोसाइटी एवं रफ़ी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित सेंट रोज पब्लिक स्कूल, गढ़ी पीरखां, ठाकुरगंज में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शहनशाहे तरन्नुम मोहम्मद रफ़ी के जन्म दिवस पर ‘रफी डे‘ पूरे उत्साह के साथ मनाया गया.।
इस अवसर पर रफ़ी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजमल आज़म कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे एवं मुख्य अतिथि ़“ख़ाक फ़ाउंडेशन, गाजीपुर“ के निदेशक इरशाद जनाब ख़लीली रहे। मुहम्मद कलीम ख़ान ने समारोह का प्रारम्भ रफ़़ी के गीत से किया।इस मौक़े पर बड़ी संख्या में रफ़ी प्रेमी मौजूद थे, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी थे, जो अपनी आवाज में मुहम्मद रफी की आवाज की ऐसी मिसाल पेश करते हैं कि आवाजों को पहचान पाना आसान नहीं होता, मुहम्मद रफी के चाहने वाले उन्हें अपनी महफिलों में बुलाकर अपने प्यार का इजहार करते रहते हैं। इन कलाकारों में अजमल आज़म, रवि भारती, मुहम्मद नासिर खान, मुहम्मद शकील, सलाहुद्दीन साहिल और सैयद यामीन का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन कलाकारों की खूबी यह है कि ये केवल मुहम्मद रफी की आवाज में ही नहीं गाते हैं। बल्कि इसके लिए नए सिंगर्स भी तैयार करते हैं।
इस मौके पर सेंट रोज पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने अपनी आवाज में रफ़ी के गीतों की प्रस्तुति कर शहन्शाहे तरननुम को श्रद्धांजलि अर्पित की.।जिसमें अभिजीत सिंह, अब्दुल रहमान, मुहम्मद अदनान, सल्तनत फ़ातिमा, आलिमा मंसूर, हुनैन हसन खान, हाजरा परवीन, मरियम अंसारी, जर्रीन खान, जन्नत फ़ातिमा, मोमिन फुरक़ान, अब्दुल समद, शाजिया बानो, मुहम्मद अमन और महम खान के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों एवं श्रोताओं को संबोधित करते हुए स्कूल प्रबंधक डॉ मंसूर हसन खान ने कहा कि तरन्नुम के साथ काव्यात्मक अभिव्यक्ति हमारी संस्कृति का अंग है. मुहम्मद रफ़ी साहब की वाणी में कुदरत की अनुपम पूर्णता थी। ऐसे लोग सदियों में पैदा होते हैं। अतीत की स्वर्णिम स्मृतियों से जुड़ी महत्वपूर्ण शख्सियतों में मुहम्मद रफी साहब का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जा रहा है और यह गर्व की बात है कि अल्लाह ने हमारे देश भारत को यह रत्न दिया है। उनके गीत विभिन्न रूपों में भक्ति के स्रोत हैं। सभी धर्मों से उन्हें सम्मान की नज़र से देखा जाता है।
विशिष्ट अतिथि इरशाद जनाब ख़लीली ने कहा कि दुनिया का कोई भी कलाकार एकाएक मंच पर नहीं पहुंचता। मुहम्मद रफ़ी साहब के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। रफ़ी साहब उन खुशनसीबों में से एक हैं, जिनकी गायकी में ऐसा मेल मिला, जिसमें उनकी आवाज का जादू आज भी सिर चढ़ कर बोल रहा है। अतिथियों का स्वागत अनन्त भुषण त्रिपाठी और शुक्रिया नगमा सबा ने किया।
डॉ. मंसूर हसन खान
मोबाइलः 9335922616