रेडियोथेरेपी केजीएमयू में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से तैयार उपकरण को मिला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार* 

प्रेस विज्ञप्ति

 

*रेडियोथेरेपी केजीएमयू में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से तैयार उपकरण को मिला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार*

रेडियोथेरेपी उपचार में दो लक्ष्यों का ध्यान रखा जाता है। यें हैं -1. कैंसर को अधिक से अधिक विकिरण देना।

2. सामान्य ऊतक को कम से कम रेडिएशन देना।इन्हीं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु मशीनों का कालांतर में विकास चलता रहा। सबसे पहले जो कोबाल्ट मशीन आई, मशीन के जबड़े वर्ग या आयत के रूप में खुलते थे। इसका अभिप्राय है कि रेडिएशन वर्ग या आयत के रूप में दिया जा सकेगा। लेकिन कैंसर तो वर्ग या आयत के रूप में नहीं होता। यह तो टेढ़ा मेड़ा होता है। यही से conformal रेडियोथेरेपी की शुरुआत हुई। लीनियर एक्सीलरेटर मशीन से रेडिएशन को कैंसर के अनुरूप कर दिया गया।इस चरण के बाद महसूस किया गया कि शरीर के विभिन्न अंगों में विभिन्न movement होते हैं। जैसे कि सांस लेने में फेंफड़ों का movement, मूत्राशय खाली और भरने पर आंतों का movement आदि।

यहीं से शुरुआत हुई IGRT अर्थात इमेज गाइडेड रेडियोथेरेपी की। विकास के साथ साथ मशीन बहुत महंगी होती गई। इसके सहायक यंत्र भी बहुत महंगे हैं।इसी को ध्यान में रखते हुए प्रो तीर्थराज वर्मा के मुख्य मार्गदर्शन एवं प्रो सुधीर सिंह एवम डा मृणालिनी वर्मा के सह मार्गदर्शन में श्रीराम राजुरकर ने वरिष्ठ पीएचडी स्कॉलर के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से एक यंत्र का निर्माण आरंभ किया।इसमें रोगी के सांस लेने का पैटर्न आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग करते हुए रिकॉर्ड कर लिया जाता है। स्तन कैंसर के रोगियों में इसका प्रयोग किया जा रहा है। सांस के इस पैटर्न का अध्ययन कर यह पता लगाया जाता है कि किस अवस्था में फेंफड़ों और हृदय को कम से कम रेडिएशन देते हुए कैंसर चिकित्सा दी जा सकती है।इसके शुरुआती परिणाम काफी सकारात्मक हैं। कार्य को पेनांग मलेशिया में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। इसके लिए श्रीराम राजुरकर को AOCMP – SEACOMP 2024 ट्रैवल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। भारत वर्ष से यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले राजुरकर अकेले प्रतिभागी रहे।माननीय कुलपति केजीएमयू प्रो सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को उत्कृष्ट कार्य हेतु बधाई दी।