तालियों और प्रशंसा के बीच संपन्न हुआ तरही मुशायरा/फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल सोसायटी के अध्यक्ष थे मुख्य अतिथि

*तालियों और प्रशंसा के बीच संपन्न हुआ तरही मुशायरा

*फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल सोसायटी के अध्यक्ष थे मुख्य अतिथि*

लखनऊ ,संवाददाता । परफ़ेक्ट वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में अदबी शोआएँ एकेडमी की ओर से कल 20 नवंबर शाम 7:30 बजे बालागंज चौराहे पर स्थित परफेक्ट टावर मे तरही मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल सोसाइटी के अध्यक्ष तूरज ज़ैदी मुख्य अतिथि थे। जबकि मुशायरे की अध्यक्षता शायर नईयर मजीदी ने की। मुशायरे क संचालन ज़की भारती ने अपने अंदाज़ में किया। इस मुशायरे के संचालक सुल्तान सुरूर लखनवी थे।
कल जिस मिसरे में कवियों नें ग़ज़लें सुनाकर दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया ,वो था *आपके चेहरे नें आईने को हैरान किया।*
मुख्य अतिथि तूरज ज़ैदी को शाल उढ़ाकर कर मारिया ख़ातून और गौसिया ख़ानम ने सम्मानित किया । इस अवसर पर तूरज ज़ैदी ने अपने सम्बोधन में उर्दू अदब के सिलसिले में जहाँ मीर अनीस, मिर्ज़ा दबीर और जोश मलिहाबादी कि प्रशंसा की वही उन्होंने इस दौर के शायरों की प्रशंसा करते हुए कहा , उर्दू अदब का सिलसिला जो गुज़रे हुए दौर में शुरू हुआ उसे आज के शायर ,ख़तीब और ज़ाकेरीन ने
ब ख़ूबी जारी रखा ।
उनके सम्बोधन के बाद जहाँ मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे नईयर मजीदी को कमेटी के संरक्षक हसन कौसर रिज़वी ने शाल उढ़ाकर सम्मानित किया वहीं वरिष्ठ पत्रकार ख़ालिद रहमान को कमेटी के संचालक सुल्तान सुरूर लखनवी ने शाल उढ़ाकर और मोमेंटो देकर निष्पक्ष पत्रकारिता के एवार्ड से सम्मानित किया।
इस कार्यक्रम में जिन कवियों नें शामिल होकर बेहतरीन ग़ज़लें प्रस्तुत की उनमें नईयर मजीदी,सुल्तान सुरूर,डॉ.क़ासिम अना आज़मी,राम प्रकाश बेख़ुद, हसन फ़राज़,संजय मिश्रा शौक़, आरिफ नजमी, नजफ़ उतरौलवी,हबीब शराबी, ज़की भारती, रज़ा सफीपुरी,नश्तर मलिकी,शेख साजिद लखनवी,हसन कौसर ,हर्षित मिश्रा,हसन लखनवी के नाम शामिल हैं।
*मुशायरे का संचालन कर रहे ज़की भारती ने जैसे ही अपने इस शेर ,*
*ये ग़लत बात थी लेकिन ये मेरी जान किया।*
*इश्क़ एक और तेरे इश्क़ के दौरान किया।।* को पढ़ा वैसे ही तालियों की आवाज़ तेज़ हो गई और उनकी दर्शकों ने खूब प्रशंसा की।
शायर शेख़ साजिद लखनवी का तरही ग़ज़ल का ये शेर *जलती रहती हैं चिताएँ यहाँ अरमानों की।*
*मुफलिसी तूने मेरे दिल को भी शमशान किया।।*
बहुत सराहा गया।
इसके अलावा हसन कौसर का ये शेर *जीते जी वो कभी खुशहाल नहीं रह सकता।*
*जिस ख़ताकार ने क़ुरआन का अपमान किया।।*
शायर रज़ा सफीपुरी का ये शेर
*ऐक तपते हुए सहरा को लहू से अपने।*
*किसने सींचा है रज़ा किसने गुलिस्तान किया।।*
नश्तर मालिकी का ये शेर
*तपते सहरा में भी एक बूंद न मंगा पानी।*
*यूँ मेरी प्यास ने दरियाओं प एहसान किया।।*
शायर नजफ़ उतरौलवी का
*मेरे रुखसार प अश्कों नें ग़ज़ल लिक्खी है।*
*मेरे ज़ख्मों नें मुझे साहिबे दीवान किया।।*
शायर संजय मिश्रा शौक़ का ये शेर
*ये अलग बात के संसार प एहसान किया।*
*धूप ने खिल के मगर छाओं का नुक़सान किया।।*
शायर हसन फ़राज़ का ये शेर
*क़त्ल होने प भी सर गर्म सुख़न है वो फ़राज़।*
*बस इसी बात ने क़ातिल को परेशान किया।।*
शायर राम प्रकाश बेख़ुद का ये शेर
*यूँ भी महफूज़ ख़ुदाया तेरा फरमान किया।*
*दिल को क़ुरआन किया जिस्म को जुज़दान किया।।*
खूब पसंद किया गया।
शायर सुल्तान सुरूर लखनवी के इस शेर को
*कोई शिकवा न गिला और न तमन्ना कोई।*
*मझको तस्वीर बना के बड़ा एहसान किया।।*
शायर नईयर मजीद के इस शेर को
*तेरे इनकार से आयात का कुछ बिगड़ा नहीं।*
*तूने ख़ुद अपने नजिस खून का ऐलान किया।।* को
श्रोताओं ने ख़ूब सराहा।
अदबी शोआएँ एकेडमी के संस्थापक ज़की भारती ने बताया कि हर 15 दिनों पर मुशायरा किये जाने का उद्देश्य ये है कि शायरों /कवियों को वो स्टेज उपलब्ध करया जाए जिसके वो पत्र हैं। इसीलिए इस तरह के मुशायरों में ऐसे शायरों को बुलाया जा रहा है जिनके अशआर लोगों के दिलों में जगह बना सकें। जिसके परिणाम में मुशायरों के ऑर्गेनाइजर इन शायरों को बुलाने पर बाध्य हों और इनको बड़े स्टेज मिल सकें।