(सत्ता की शान)
लखनऊ 31 जुलाई मुहर्रम की आज पहली तारीख है अय्यामे अजा का दौर शुरू चुका हैं इमामबाड़ों और घरों में मजलिस और मातम का दौर भी शुरू हो चुका है मोहर्रम को लेकर पुलिस प्रशासन और नगर निगम निगम पूरी तरह मुस्तैद दिखाई दे रही है। शहर भर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इन्तिजाम किये गए हैं।महीने 8 दिन होने वाली मजलिसों, ताबूत और जुलूसों को लेकर पुलिस पूरी तरह मुस्तैद नजर आ रही है। पिछले दो साल से कोरोना के चलते लोगो ने घरों में आनलाइन मजलिसे सुनी थी और कोरोना के खात्मे के लिए दुआए मांगी थी।आज पहली मोहर्रम को जगह जगह धर्मगुरुओ ने मजलिसो को संबोधित किया।इमामबाड़ा सैयद तकी साहब में अशरा, मजालिस की पहली मजलिस को विलायत के उनवान पर संबोधित करते हु, मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उस वक्त तक मुसलमान नहीं हो सकता है जब तक विलायत का इकरार न करे! क्यों कि विलायत दीन का ,एक हिस्सा है जिसका इंकार करने वाला काफिर है। क्योंकि गदीर में विलायते मौला, कायनात अ-स- के ,एलान के बाद खुदा ने दीन को आयते इक्माल के जरिये से कामिल किया है जिसमें फरमाया गया है ‘‘आज के दिन दीन कामिल हुआ, नेमतें तमाम हुईं, और अल्लाह इस दीने इस्लाम से राजी हुआ। (अल-मायदाः 5 आयत-3) इस से यह साबित होता है कि जब बगैैर विलायते अली के दीन ही कामिल नहीं है तो फिर कोई मुसलमान कैसे हो सकता है? अब अगर इसके बाद कोई यह कहे कि वह मुसलमान हैं तो वह आतंकवादियों वाले इस्लाम का मान्ने वाला हो सकता है, वह इस्लाम जो रसूल ने अल्लाह के हुक्म से गदीर मे हम तक पहुंचाया उस से उनका कोई लेना देना नहीं है।
आखिर मे मौलाना ने जनाबे मुस्लिम बिन अकील अ0स0 की शाहादत का जिक्र किया जिसको सुन कर लोग रोये और मातम किया।