प्रेस विज्ञप्ति
आज दिनांक 20.10.21को बाल रोग विभाग, केजीएमयू द्वारा राज्य संसाधन केंद्र का उद्घाटन किया गया। आज से बीमार नवजात देखभाल इकाइयों में तैनात डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों के 2 सप्ताह के एफबीएनसी ऑब्जर्वेशन ट्रेनिंग शुरू की गई।
सत्र की शुरुआत प्रोफेसर शैली अवस्थी, विभागाध्यक्ष, बाल रोग, केजीएमयू, लखनऊ के स्वागत भाषण से हुई।
उत्तर प्रदेश की नवजात मृत्यु दर 32 प्रति हजार जीवित जन्म है। जो भारत के 23 प्रति हजार जीवित जन्म की तुलना में काफी अधिक है। 2030 तक 12 प्रति हजार जीवित जन्म के एसडीजी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अस्पताल स्तर पर बीमार नवजात शिशु की देखभाल बहुत जरूरी है।
प्रो. माला कुमार, नोडल अधिकारी, राज्य संसाधन केंद्र ने एसएनसीयू में तैनात डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों द्वारा कौशल आधारित देखभाल की गुणवत्ता के महत्व पर जोर दिया। राष्ट्रीय सहयोग केंद्र, कलावती सरन और यूनिसेफ के सहयोग से भारत सरकार ने एक व्यापक सुविधा आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम प्रशिक्षण पैकेज विकसित किया है, जिसमें मेडिकल कॉलेज में तृतीयक देखभाल इकाई में 04 दिनों के क्लास रूम प्रशिक्षण के बाद 14 दिनों के पर्यवेक्षक प्रशिक्षण शामिल हैं।
बाल रोग विभाग, केजीएमयू संकाय – प्रो माला कुमार, प्रो एसएन सिंह एवम प्रो शालिनी त्रिपाठी इस बैच के लिए प्रशिक्षक हैं । इसमे और भी अधिक संकाय जोड़े जाएंगे।
बाल स्वास्थ्य महाप्रबंधक डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि राज्य के 69 जिलों में 86 कार्यात्मक एसएनसीयू हैं और 04 दिवसीय एफबीएनसी प्रशिक्षण पूर्व में वीएबी अस्पताल लखनऊ और आईएमएस, बीएचयू लखनऊ में आयोजित किया गया था, लेकिन तब 14 दिनों के लिए पर्यवेक्षक प्रशिक्षण कर्मचारियों को यात्रा करना पड़ता है ।
कलावती सरन अस्पताल, नई दिल्ली ताकि राज्य में पर्यवेक्षक प्रशिक्षण का एक बड़ा बैकलॉग हो।
राज्य संसाधन केंद्र एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करेगा, लेकिन एसएनसीयू में परामर्श यात्राओं के माध्यम से अंतराल को भरने में भी सहायता करेगा। डॉ. निर्मल सिंह, यूनिसेफ ने आशा के माध्यम से सुविधा और सामुदायिक जुड़ाव पर जोर दिया, जो खतरे के संकेतों की शीघ्र पहचान और पास की सुविधा में बीमार नवजात शिशु के रेफरल में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। प्रो उमा सिंह, डीन अकादमिक और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग हेड ने जोर देकर कहा कि मां और नवजात देखभाल दोनों साथ-साथ चलती हैं और नवजात शिशु की शुरुआती देखभाल नवजात के लिए महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण में लेबर रूम में 02 दिवसीय प्रशिक्षण और पीएनसी वार्ड में 02 दिवसीय प्रशिक्षण भी शामिल होगा और प्रतिभागी सर्वोत्तम अभ्यास सीखेंगे।
लेफ्टिनेंट जनरल डॉ विपिन पुरी, कुलपति, केजीएमयू, लखनऊ ने कहा कि राज्य में अभी भी जन्म दर बहुत अधिक है और नवजात शिशु के लिए पहला स्वर्णिम मिनट महत्वपूर्ण है, लेबर रूम के भीतर नवजात शिशु के पुनर्जीवन में कर्मचारियों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। साथ ही गर्भावस्था के दौरान मां की देखभाल पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि खतरे में पड़े नवजात शिशुओं को बचाया जा सके।
अंत में प्रो एस एन सिंह ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। सत्र में ऐडी ० प्रो शालिनी त्रिपाठी, बाल रोग विभाग, केजीएमयू, डॉ प्रमित श्रीवास्तव, राज्य समन्वयक बाल जीवन रक्षा और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।