एक व्यक्ति का फितरा इस वर्ष लगभग 75 रुपये होगा – मौलाना सैफ अब्बास
लखनऊ, 07 मई, 2021 …. मुमताज उलेमा सैयद सैफ अब्बास नकवी, ने एक बयान में कहा कि फितरा, जिसे ज़काते फितरा भी कहा जाता है, इस्लाम में वाजिब कामों में से एक है जिसका मतलब है ईद-उल-फितर, एक निश्चित मात्रा और स्थिति में माल का भुगतान को कहा जाता है। फितरा गरीबों और जरूरतमंदों को देना अनिवार्य है, जिसकी मात्रा एक साअ (लगभग 3 किलो ग्रेराम) गेहूं, जौ, खजूर या किशमिश या उनका मूल्य है। प्रत्येक बालिग और समझदार व्यक्ति, जो अपने और अपने परिवार का एक वर्ष का खर्च उठाता हो, वह अपने और अपने परिवार का फितरा भुगतान करना वाजिब (जरूरी) है। फितरा अदा करने का समय चाँद रात से ईद-उल-फितर की नमाज से पहले या उसी दिन जोहर की नमाज से पहले का है।। हदीसों के अनुसार, फितरा रोजा के स्वीकार होने, उसी वर्ष मृत्यु से सुरक्षित रहने और ज़काते माल को पूरा करने का साधन है।
मौलाना सैयद सैफ अब्बास ने कहा कि इस साल कोरोना वायरस के कारण लाॅकडाउन चल रहा है और गरीबों का काम काज भी बन्द है। इसलिए, हम लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने फितरा पैसे को गरीबों में जल्द से जल्द वितरित करें और उनकी मदद करें। इसके अलावा, मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि आंशिक तालाबंदी के कारण हम ईद को सादगी से मना रहे हैं इसलिए हम ईद में कुछ हिस्सा गरीबों की मदद करने के लिए खर्च करें। मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि अगर हमें सरकार द्वारा छूट दी जाती है तो भी हमें सावधान रहना चाहिए और सामाजिक दूरी का ख्याल रखना चाहिए और मास्क पहनते रहना चाहिए।
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