लखनऊ,25 नवम्बर। डाॅ. मौलाना कल्बे सादिक जो काफी समय से कैंसर से पीडि़त चल रहे थे, उनको एरा मेडिकल कालेज में भर्ती किया गया था जहां बीती रात उन्होंने अपनी अन्तिम सांसे लेकर के अपने रब को प्यारे हो गये। आज मौलाना डा. कल्बे सादिक की नमाजे जनाजा दिल्ली से आये रहबर-ए-मुअज्जम के नुमाइंदे हुज्जतुल इस्लाम आगा मेंहदवीपुर ने 11.20 मिनट पर पढ़ायी। नमाजे जनाजा तहसीनगंज स्थित यूनिटी कालेज के ग्राउंड में पढ़ायी गयी जिसमें लाखों शोकाकुल लोगों ने शिरकत की। बाद नमाजे जनाजा के आगे अलम बरामद किये गये, अलम के साथ पैदल इमामबाड़ा गुफरामांब में डा. कल्बे सादिक साहब को 2.00 बजे सुपुर्दे खाक किया गया। दुनिया भर से शोक के संदेश आ रहे है, सभी धर्म के गुरूओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वहीं घंटाघर पर सुन्नी समुदाय द्वारा भी कल्बे सादिक के जनाजे की नमाज पढ़ायी गयी।
ऐसा इतिहास में दूसरी बार हुआ है कि एक जनाजे की दो नमाजे पढ़ायी गयी। मरहूम डा. कल्बे सादिक अन्य मौलानाओं से पूरी तरह से मुख्तलिफ थे। उन्होंने खुद दीनी व दुनियाबी तालीम हासिल करके अपनी कौम के बच्चों के लिए एक मिसाल पेश की, वह सिर्फ मेम्बर्स से नसीहत देने पर यकीन नहीं रखते थे बल्कि सक्षम लोगों को आगे बढ़ाते थे, वह कहते थे कि अगर दुनिया में इज्जत व शोहरत और तरक्की हासिल करना है तो शिक्षा ही इसका वाहिद रास्ता है। उन्होंने कौम की मदद से पहले यूनिटी कम्प्यूटर टेªनिंग इंस्टीट्यूट खोले उसके बाद यूनिटी प्राइमरी स्कूल फिर इंटरमीडिएट उसके बाद डिग्री व पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट और आखिरी में टाप रैंकिंग मेडिकल कालेज, डेन्टल कालेज और हास्पिटल भी कायम करके दिखा दिया कि अगर विल पावर हो तो सब कुछ मुमकिन है। तौहीदुल मुस्लिमीन ट्रस्ट के जरिये हजारों बच्चों को न सिर्फ इंडिया की बल्कि गैर मुल्कों में स्कालरशिप के जरिये हायर एजुकेशन हासिल करवायी। इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकार के अल्पसंख्यकों के लिए स्कालरशिप का इस्तेमाल भी किया।
सबसे पहले उन्होंने ही कुरान और साइंस पर मजलिसें पढ़ना शुरू की। जिससे पूरे अलामे इस्लाम में उनकी धाक बढ़ गयी। कहते है कि 15-20 वर्ष पहले जब पाकिस्तान में उन्होंने मजलिसे पढ़ी तो कई मील तक मजमा होता था। आज तक इसका रिकार्ड नहीं तोड़ा गया। उनकी इज्जत सभी धर्म के लोग करते थे। सादिक साहब के बेटे कल्बे सिब्तैन नूरी ने दुआ करी कि उनको जन्नत में दर्जात बुलंद हो और उनके तमाम मानने एवं चाहने वालों को सब्र अता करें और उनके कायम कर्दा संस्थानों को बाकी रखें बाकी कौम के बच्चे अयान्दा भी ज्ञान भी हासिल कर सकें।