ईद-ए-गदीर से समाज के सभी वर्गों को परिचित कराए -मौलाना सैयद सैफ अब्बास

ईदे गदीर से समाज के सभी वर्गों को परिचत कराऐं-मौलाना सैयद सैफ अब्बास

लखनऊ- वैसे तो मुसलमानो में ईद के कई पर्व मनाए जाते हैं जैसी की ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अज़हा लेकिन एक और बड़ी ईद है जिसे इद-ए-गदीर के नाम से जाना जाता है।ईद-ए-गदीर पर मौलाना सैय्यद सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि हमारी कौम की पहचान ईद गदीर और अज़ादारी-ए-इमाम-हुसैन से है, इसलिए लोगोें से अपील की जाती है कि 18 ज़िलहिज्जा से 24 ईद मबहिला तक हफताए विलायत का आयोजन किया जाए। क्योंकि यह सप्ताह लोगों की खुशी का सप्ताह है।

लोगों को पता होना चाहिए कि ईद-उल-फितर एक बड़ी ईद है जिसे कई दिनों तक मनाया जाता है। पूरा समाज ईद-उल-फितर से परिचित है इसी तरह, ईद-उल-अज़हा भी एक बड़ी ईद है और यह भी कई दिनों तक मनाई जाती है। ईद-ए-गदीर पैगंबर हज़रत मोहम्मद की ईद है, यानी अल्लाह की सबसे बड़ी ईद। ऐसी बड़ी ईद कुछ घंटों में पूरी हो जाती है। ऐतिहासिक रूप से मुबाहैला का वाक्या पहले हुआ था और गदीर बाद में हुई है। हमें प्रकृति द्वारा इस में संकेतों को समझने की आवश्यकता है, जैसे 18 ज़िल-हिज्जाह को ऐलाने विलायत अमीरूल मुमिनीन हुआ और 24 ज़िल-हिज्जाह ईद मुबाहेला है।

उस दिन, पंजतन मुबाहेला के मैदान में आए और उनकी महिमा को देखते हुए, नजरान के ईसाइयों ने कहा कि यदि वे पहाड़ों से कहेगे तो पहाड़ अपने स्थान से दूर चले जाएंगे। इसलिए ईश्वरीय संकेत को समझते हुए, हमें ईद-उल-गदीर से ईद-उल-मुबहिला तक हफता-ए-विलायत मनाना चाहिए, ताकि हमारे पास इस सम्मानजनक ईद को अन्य समुदाय के लोगों तक पहुंचाने का समय मिल सकेता है। हमें यह देखना चाहिए कि जब हम ईद गदीर का जश्न, नज़र आदि को एक सप्ताह के तक मनाते हैं, तो समाज का हर तबका इस बात से आकर्षित होगा कि यह ईद गदीर कि आप एक सप्ताह के लिए मना रहे हैं, तो आप लोग ईद-उल-गदीर की महानता से लोगों को परिचत करा सकते है और ईद-उल-फित्र और ईद-उल-कुर्बान की तरह ईद-उल-गदीर भी समाज के प्रत्येक सदस्य तक पहुंचा सकते हैं।