स्ंगीत नाटक अकादमी ने मनाया स्थापना दिवस

स्ंगीत नाटक अकादमी ने मनाया स्थापना दिवस
शेखर सेन ने मंच पर जीवंत की ‘कबीर’ की वाणी
लखनऊ, 13 नवम्बर। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने के 56 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में स्थापना दिवस पर आज शाम अकादमी के संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में धरोहर शीर्षक के अंतर्गत विख्यात बहुमुखी कलाकार शेखर सेन ने गीत-संगीत से सजी एकल नाट्य प्रस्तुति ‘कबीर’ का मंचन किया। 
कबीर की काशी के वातावरण को जीवंत करती आ अवधी भाषा का भी प्रयोग से सजी इस प्रस्तुति में शेखर सेन ने एक अभिनेता के तौर पर तो कबीर का चरित्र अपने में उतारा ही, साथ ही कबीर वाणी को सरल अंदाज में पेश करते हुए संदेश दिया कि जो आया है, वह जाएगा और जब तक संसार में सच है, तब तक कबीर जनमानस में जिंदा रहेंगे। कभी हंसाते तो कभी रुलाते हुए उन्होंने- ‘दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई…..’ जैसी अन्य कई रचनाओं का भावप्रवण गायन करते हुए कबीर के रहस्यवाद को सहज रूप से दर्शकों को प्रेषित किया। शेखर सेन के माध्यम से संगीत नाटक अकादमी का कबीर की संपूर्ण जीवनी को नाटक के जरिए दिल में उतारने का प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का यह सार्थक प्रयास रहा।
कबीर के सुधारवादी व्यक्तित्व पर केंद्रित म्यूजिकल मोनोलाॅग यानी एकल संगीत नाट्य रचना ‘कबीर’ के मंचन में लेखक, निर्देशक, संगीतकार, गायक व अभिनेता शेखर सेन ने संत कबीर के व्यक्तित्व के कई पहलुओं को उनकी अनेक गेय रचनाओं को भाव अनुसार प्रस्तुति में पिरोकर प्रस्तुत किया। कबीर को प्रेम-शांति के उपदेशक और सच्चाई के साधक के रूप में पेश करने वाली दो घण्टे की कबीर की जीवनी पर आधारित इस नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को शुरुआत से अंत तक बांधे रखा। 
संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के अध्यक्ष व पद्मश्री पुरस्कार समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित कलाकार शेखर सेन तुलसी, कबीर, विवेकानंद, साहब और सूरदास जैसे अपने मोनोएक्ट म्यूजिक प्ले के लिए विख्यात हैं। लगभग 78 किताबें पढ़ने के बाद लिखे इस नाटक का पहला मंचन उन्होंने 1999 में किया था और यह इसका 434 प्रदर्शन था।
इससे पहले फरहा अनवर के संचालन में प्रारम्भ हुए समारोह में अकादमी के सचिव तरुण राज ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि प्रदेश में संगीत नाटक अकादमी की स्थापना 13 नवम्बर 1963 को प्रदेश के एक स्वायत्तशासी संस्थान के तौर पर हुई थी। कार्यक्रम के प्रारम्भ में हाल ही में दिवंगत, अकादमी के पूर्व कर्मी संगीतज्ञ श्रीकुमार मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 
इस अवसर पर कलाप्रेमियों के बीच अकादमी की सभापति डा.पूर्णिमा पाण्डे, पद्मश्री राज बिसारिया, उर्मिलकुमार थपलियाल व सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ भी उपस्थित थे।