अफ़रादे क़ौम से गुज़ारिश : मोमेनीन अपने रोज़गार , अपने बच्चों की तालीम व तरबियत पर पूरा ध्यान दें और अल्लाह से लौ लगाएं । क़ौमी सियासत से दूरी इख्तेयार करें जो बद से बदतर होती जा रही है । कुछ लोग चंद सालों में अमीर से अमीर होते जा रहे हैं और मोमेनीन किस मुश्किल से अपना खर्च चला रहे हैं ? Qaroon के ख़ज़ाने जमा किए जा रहे हैं लेकिन गरीब और ज़रूरत मंद मोमेनीन का पुरसाने हाल कोई नहीं ? सवाल पूछने पर तौहीन और बदतमीजी शुरू कर दी जाती है कि इंसान इज़्ज़त के डर से खामोश हो जाए । अजीब सूरते हाल बना दी गई है जो इससे पहले कभी नहीं थी
खुदा और हिसाब किताब का खौफ खत्म हो गया और मक़सद सिर्फ़ एक दूसरे को नीचा दिखा कर , तौहीन करके , दौलत लुटा कर , बदतमीज़ी और डरा धमका कर और सियासी पार्टियों की खुशमद करके अपनी लीडरी बरक़रार रखना है और अपने ज़ाती मफादात ( Self Interests ) पूरे करना हैं । मौलाना कल्बे आबिद साहब मरहूम और मौलाना कल्बे सादिक साहब मरहूम चले गए जो आख़री सांस तक क़ौम के सच्चे मुख्लिस , सही राह बताने वाले और बेइंतहा दर्द रखने वाले थे । इस वक्त कोई दूध का धुला नहीं है , सब के दामन दागदार हैं । … गुस्ताखी माफ़ ….. गुनाहगार और haqeer ( कल्बे सिब्तैन नूरी )
नोट : इस पोस्ट के बाद कुछ लोग मुझे बुरा भला कहेंगे हमेशा की तरह , किसी को कोई जवाब देने की ज़रूरत नही । सब अल्लाह पर छोड़िए । अल्लाह हम सब की हिदायत करे आमीन