शिया / सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोडों का गठन राज्य सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम-1995 के अन्तर्गत प्रदेश में स्थित वक्फ सम्पत्तियों के सुचार प्रबन्धन / संरक्षण के लिए किया गया। बोर्ड का कर्तव्य है कि अपनी शक्तियों का प्रयोग वक्फ अधिनियम के अधीन इस प्रकार करें कि उसके अधीक्षण में आने वाले वक्फों को उचित रूप से अनुरक्षित, नियंत्रित और प्रशासित किया जा सके तथा उसकी आय का उपयोग उन उद्देश्यों अथवा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए किया जाये जिसके लिए ऐसे वक्फ स्थापित किये गये हैं।
परन्तु इसके विपरीत वक्फ सम्पत्तियों पर अतिक्रमण लगातार बने हुए है एवं इसकी आय का दुरूपयोग होने के कारण पसमांदा एवं आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की मदद अबतक नहीं हो सकी है। उपरोक्त दोनों बोडों के वक्फ निधि की हालत भी अत्यन्त गम्भीर है।
पूर्व में मेरे अनुरोध पर आपके आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने दोनों बोडों के गत पाँच वर्षों के लेखाओं की विशेष सम्परीक्षा और जाँच करायी थी। सम्परीक्षा आख्यों से स्पष्ट है कि बोड़ों की कार्य प्रणाली विधिवत् नहीं है तथा बोर्ड अपने कर्तव्यों का पालन वक्फ अधिनियम के प्राविधानों के अधीन करने में पूर्णतः असमर्थ हैं एवं अपनी शक्तियों का दुरूपयोग कर रहे हैं।
शिया / सुन्नी वक्फ बोर्डों द्वारा वक्फ सम्पत्तियों के उद्देश्यों के विपरीत ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति मुतवल्ली / प्रबन्ध समिति के रूप में निरन्तर की जा रही है, जो किसी न किसी रूप से वक्फ सम्पत्तियों के अतिक्रमण, क्रय विक्रय में संलिप्त होते हैं। वक्फ सम्पत्तियों के विकास के लिए वक्फ सम्पत्ति पट्टा अधिनियम-2014 में दी गयी व्यवस्था का भी उपयोग बोडों द्वारा नहीं किया जा रहा है। ऐसे में यह आवश्यक होगा कि राज्य सरकार दोनों बोडों में किसी उच्च अधिकारी को प्रशासक नियुक्ति कर अपने नियंत्रण में संचालित करे।
उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों के दृष्टिगत वक्फ सम्पत्तियों के अवैध क्रय विक्रय, अतिक्रमण के सम्बन्ध में वक्फ अधिनियम 1995 के प्राविधानों के अधीन आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु सम्बन्धित को निर्देशित करने का कष्ट करें।