रविवार को वाराणसी के दरगाह ए फातमान में 18 बनी हाशिम के मातम का एहतेमाम हुआ। ताबूत उठाकर कर्बला के 18 शहीदों को नम आंखों से नमन किया गया। मजलिस के बाद 18 बनी हाशिम के ताबूत उठाए गए। एक साथ 18 ताबूतों को देखकर लोग फफक-फफक कर रो पड़े। इन शहीदों का परिचय जलालपुर से आए मौलाना शबाब हैदर वाएज ने कराया।मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना सैयद अकील हुसैनी ने कहा कि आज जब दुनिया केवल अपने फायदे के बारे में सोच रही है, कितना जरूरी है कि दुनिया को कर्बला वालों के त्याग और बलिदान की शौर्य गाथा सुनाई जाए और उनसे नसीहत ली जाए। मजलिस के बाद 18 बनी हाशिम के ताबूत उठाए गए। आज से लगभग 1400 साल पहले यजीद ने इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। इन 72 शहीदों में पैगंबर मुहम्मद साहब के खानदान के 18 असहाब थे, ये ताबूत उन्हीं 18 बनी हाशिम की याद में उठाए जाते हैं ताबूत उठाकर कर्बला के 18 शहीदों को नम आंखों से नमन किया गया। एक साथ 18 ताबूतों को देखकर लोग फफक-फफक कर रो पड़े इस दौरान हाजी सैयद फरमान हैदर, बाकर बेनियावी, अंसार बनारसी, जियाउल हसन, तकी अली रिजवी, शहंशाह आबिदी, जन हसन, अतहर रजा, मजाहिर अली, बुलंद अख्तर, काबे अली, अनीस हसन, शेख जैन, जावेद शराफत नकवी, लियाकत अली, इरफान हैदर, शामिल हुए।
वाराणसी के दरगाह ए फातमान में 18 बनी हाशिम के ताबूत बरामद हुए नम आंखों से दी गई विदाई
