लखनऊ, 21 अप्रैल 2022। ऐनुल हयात ट्रस्ट द्वारा ‘‘दीन और हम’’ के नाम से आयोजित होने वाली ‘‘लेवल-1़,2,3‘‘ कक्षाओं में परम्परागत रूप से 19 रमज़ान को हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम, जिनको इस्लाम में अमीरुल मोमेनीन कहा जाता है, उनकी शहादत की पूर्व संध्या पर उनके व्यक्तित्व एवं जीवन पर प्रकाश डालते हुए एक मजलिस का आयोजन किया गया। जिसमें तिलावते क़ुरान के बाद श्री अहसन नासिर, श्री आले हुसैन, श्री वसी अहमद काज़मी, श्री मोहम्मद अब्बास एवं श्री मुर्तुज़ा द्वारा इमाम अली अलैहिस्सलाम की याद में नौहे एवं सलाम प्रस्तुत किये गये जिसके बाद सरफराजगंज स्थित नर्जिस मंजिल में मौलाना अदील असगर काजमी, अलमास मैरिज हाॅल’’ नेपियर रोड में मौलाना हसनैन बाकरी एवं मौलाना अक़ील अब्बास मारूफ़ी, दरगाह हज़रत अब्बास रोड कश्मीरी मोहल्ला में मिलन मैरिज हाॅल में मौलाना मुशाहिद आलम तथा इमामबाड़ा अफसर जहाँ’’ विक्टोरिया स्ट्रीट में मौलाना अली अब्बास ख़ान ने व्याख्यान देते हुए बताया कि हजरत अली अलैहिस्सलाम इस रात और पवित्र रमजान की सभी रातों में लोगों को खाना खिलाया करते थे और उन्हें उपदेश देते थे। इतिहास में है कि वे रमजान में हमेशा लोगों को इफ्तार और रात का खाना देते थे लेकिन वे स्वयं वह खाना नहीं खाते थे। जब लोग खाना खा लेते तो वे उन्हें उपदेश दिया करते थे। वे कहते थेः हे लोगो! जान लो कि तुम्हारे कामों की कसौटी धर्म है, तुम्हें बचाने वाला, ईश्वर का भय है, तुम्हारा श्रृंगार, शिष्टाचार है और तुम्हारे सम्मान की रक्षा का दुर्ग विनम्रता है। हजरत अली अलैहिस्सलाम के सर पर नमाज़ में सिजदे की हालत में तलवार मारने वाले इब्ने मुल्जिम को इमाम अली अलैहिस्सलाम के पास लाया गया। उन्होंने उसका चेहरा देखा और पूछा क्या मैं तूझ पर बुरा नेता था? यह जानने के बावजूद कि तू मेरी हत्या करेगा क्या मैंने तेरे साथ उपकार नहीं किया? मैं चाहता था कि अपनी भलाई द्वारा तुझे इस संसार का सबसे दुर्भागी व्यक्ति न बनने दूं और तुझे पथभ्रष्टता से निकाल दूं। इब्ने मुल्जिम रोने लगा। हजरत अली ने अपने बेटे इमाम हसन से कहा कि हे पुत्र! इसके साथ भला व्यवहार करो, क्या तुम नहीं देख रहे हो कि इसकी आंखों से कितना भय झलक रहा है। इमाम हसन ने कहा कि पिता जी इसने आप पर तलवार का वार किया है और आप कह रहे हैं कि इसके साथ भला व्यवहार करूं? इमाम ने कहाः हम पैगम्बरे इस्लाम के घर वाले दयालु हैं। उसे अपना खाना और दूध दो। अगर मैं दुनिया से चला गया तो उससे मौत का बदला लेना या क्षमा कर देना तुम्हारा अधिकार होगा और अगर मैं जीवित रहा तो फिर मुझे पता है कि उसके साथ क्या करना है और मैं क्षमा करने को प्राथमिकता देता हूं।
इसी प्रकार उन्होंने हजरत अली अलैहिस्सलाम के कथन एवं व्यक्तित्व के सम्बन्ध में व्याख्यान देते हुए प्रकाश डाला। महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि इससे पूर्व आयोजकों की ओर से इमाम हसन (अ0) के जन्म दिन की पूर्व संध्या पर भी विशेष प्रबन्ध किया गया था। आज की शोक सभा में अश्रुपूर्ण आंखों के साथ समारोह में उपस्थित लोगों ने हज़रत अली (अ0) के उत्तराधिकारी हज़रत इमाम मेहदी (अ0) को इस अवसर पर श्रद्धांजलि (पुरसा) अर्पित की।
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