महिला सम्मान और इस्लाम धर्म-अली हसनैन आब्दी फ़ैज़

महिला सम्मान और इस्लाम धर्म

कर्बला की हजरत ज़ैनब (ईश्वर की रहमतें हों उन पर) जिसके बिना इमाम हुसैन की कुर्बानी कोई नहीं जान पाता
इमाम हुसैन और उनके परिवार के पुरुष सदस्य तो कर्बला में शहीद हो गए थे, लेकिन ज़ैनब के भाषण और उपदेश ही थे जिन्होंने हुसैन की कुर्बानी को लोगों के बीच पहुंचाया इस्लाम में बेटियों को बेटों पर तरजीह दी गई है और बेटियों का खास खयाल रखने का निर्देश दिया गया है। बेटियों पर किसी भी तरह के जुल्म को बड़ा पाप माना गया है। बेटियों को मारने वालों को सख्त आगाह किया गया है।कुरआन कहता है,
‘और जब जिंदा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?’ (कुरआन, 81 : 8-9)
कुरआन ने उन माता-पिता को भी फटकारा है जो बेटी के पैदा होने पर दुखी होते हैं-

‘और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दुखी हो उठता है। इस ‘बुरी’ खबर के कारण वह लोगों से अपना मुंह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिंदा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।’ (कुरआन, 16: 58-59)कुरआन में लिखा है,
‘और निर्धनता के भय से अपनी संतान की हत्या न करो, हम उन्हें भी रोजी देंगे और तुम्हें भी। वास्तव में उनकी हत्या बहुत ही बड़ा अपराध है। (१७:31)

इस्लाम में बेटियों की अहमियत को पैगम्बर मुहम्मद (ईश्वर की रहमतें हों उन पर) की इन बातों से भी समझा जा सकता है।
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब ने फरमाया-
बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को स्वर्ग (जन्नत) में जगह देगा।(इब्ने हंबल)
अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद साहब ने कहा-
‘जो कोई अपनी दो बेटियों को स्नेह, सम्मान और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आपने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया- जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में ईश्वर से डरे तो उस शख्स के लिए स्वर्ग (जन्नत) है। (तिरमिजी)
मुहम्मद साहब (ईश्वर की रहमतें हों उन पर) ने यह भी कहा है कि जिस शख्स को अपनी बेटियों की परवरिश आदि के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, और वह सब्र करता है, तो उसकी बेटियां उसके और नर्क के बीच एक परदा होंगी। यानी ये बेटियां अपने पिता को नरक में जाने से बचाएंगी।मुहम्मद साहब (ईश्वर की रहमतें हों उन पर) ने भी यह भी कहा कि ‘जब एक लड़का पैदा होता है, तो वह एक नूर (प्रकाश) लाता है और जब एक लड़की पैदा होती है, तो वह दो नूर लाती है।’