सौहार्द और आपसी भाई चारा देश व क़ौम के लिए बहुत जरूरी
लखनऊ। इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने गाय के सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सुझाव का स्वागत किया है। उन्होने गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिये जाने की हिमायत की है। मौलाना ने कहा कि माननीय न्यायालय ने सही कहा है कि देश के मुस्लिम शासनकालों के दौर में भी गौ कुशी पर पाबन्दी लगी हुई थी।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि धार्मिक मेल मिलाप, आपसी भाई चारा, एकता और रवादारी हमारे देश की असल पहचान रही है।
उन्होने कहा कि मुस्लिम शासनकाल में देश के दूसरे भाईयों धार्मिक अकीदे, इबादतगाहों, त्यौहारों, खानों और पहनावों पर कभी कोई पाबन्दी नही लगायी। यही वजह है कि कई सौ सालों पर आधारित मुसिलम शासन कालों के दौर में धार्मिक बुनियाद पर कभी कोई झगड़ा और दंगा नही हुआ। मुगलिया दौरे हुकूमत के संस्थापक हिन्दुस्तान के बादशाह बाबर ने अपने बेटे हुमायूँ को अच्छे शासनकाल के लिए जो हिदायत दी थीं उसमें विशेष तौर पर यह लिखा था कि हिन्दुओं के धार्मिक जज्बात का सम्मान करना और गौ कुशी न करना। इस हिदायत नामे पर हुमायूँ के बाद तमाम मुगल बादशाहों ने अमल किया। औरंगजेश रह0 ने बनारस और कई शहरों कीे मंदिरों को जागीरों दीं।
मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि गौ कुशी के सिलसिले में हमारे उलमा की अहम भूमिका रही है। तहरीक-ए-आजादी के जमाने में मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली ने महात्मा गॉधी की मौजूदगी में निर्णय लिया था कि मुसलमान गौकुशी नही करेंगे। आज भी उलमा गौकुशी को पसन्द नही करते हैं। वह देश के दूसरे भाईयों के जज्बातों का सम्मान करने की हिदायत देते हैं।
वह सामाज में गंगा जमनी सभ्यता, और साझी विरासत को बढ़ावा देते हैं। वह अपनी बात चीत से देश व कौम की तरक्की के लिए सरगरम हैं।