क्या हैं शिया कौम के अहम बुनियादी मुद्दे .कल्बे सिब्तैन नूरी


प्रेस नोंट
शनिवार 11 मार्च शिया मोमेनीन इस वक्त किन मसायल से दोचार हैं । हमारे आलिम और दानिश्वर इस पर संजीदगी से सोचें इस से पहले कि जवान बदजनी का शिकार हों और किसी की बात न सुनें 1. कोरोना के बाद के हालात ने हजारों लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है । रोजगार खत्म हो रहा है , नौकरी हैं नहीं । हमारी कौम पर भी कोरोना का जबरदस्त नेगेटिव असर पड़ा है 2. बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई ने हमारे जवानों और उनके घर वालों को परेशान करके रख दिया है 3. हजारों शिया घर हैं , जिनके सामने रोजी रोटी का मसअला सर उठाए खड़ा है । इलाज , घर के रोजाना के खर्च मारे डाल रहे हैं 4. आपस की दुश्मनियां दिन बा दिन बढ़ती जा रही हैं और सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ जहर उगला जा रहा है जिसे दुनिया देख रही है 5. दीन की रूह से ना आशना लोग रस्मों को अपना दीन समझ बैठे हैं 6. दीनी और दुनियावी तालीम पर सबसे ज्यादा फोकस होना चाहिए जिसको नजर अंदाज किया जा रहा है 7 . ओलमा के साथ दीनदार , पढ़े लिखे और ईमानदार वा दियानतदार अफराद जिनकी समाज में साफ सुथरी इमेज हो रहना चाहिए वरना मैसेज बहुत खराब जाता है। गड़बड़ और सौदेबाजी ये अफराद करते हैं , बदनामी आलिम की होती है मगर बार बार कहने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जाता 8 .पिछले 7 साल में सरकार ने शिया कौम की तालीम , रोजगार और तरक्की के लिए क्या किया ? इस पर संजीदगी से गौर होना चाहिए । हमारी कौम किसी सियासी पार्टी की बपौती नहीं चाहे कोई भी पार्टी हो 9. जिस तरह आए दिन हमारे दीनी मुकद्देसात और शरीयत और मुकद्दस शख्सियात पर हमले किए जा रहे हैं इस सिलसिले में हमारे ओलमा कौम की रहनुमाई करें 10.हमारे हर इदारे , कालेज , इमामबाड़े और औकाफ पूरी ईमानदारी और दियानत दारी के साथ काम करें अल्लाह का खौफ रख कर पूरी शफ्फाफियत के साथ । किसी इदारे में बेईमानी बर्दाश्त नहीं । ये दीनी और कौमी ईदारे हमारे बुजुर्ग आलिमों ने कौम की फलाह के लिए कुर्बानियां देकर खोले थे , यहां करप्शन और बद उनवानी किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं हो सकती सब जवाबदेह हैं चाहे मैं हूं , कोई आलिम हो या कोई खतीब या लीडर । सबसे गलती का इमकान है और अपनी गलती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता । जो हो गया सो हो गया , अब हम सब मिल कर कौम की फलाह और बहबूद के लिए खुलूस से काम करें और आखिरत की फिक्र करें । जिंदगी का कोई भरोसा नहीं अगर मैंने या किसी ने अपने जाती मफादात के लिए मोमेनीन के मुस्तकबिल से खिलवाड़ किया तो मौत के बाद भुगतने के लिए तैयार रहें क्योंकि कोई देखे न देखे लेकिन अल्लाह दिलों के हाल तक को जानता है । अल्लाह हम सबकी हिदायत करे और गुनाहों को माफ करे ( आमीन ) । सच और हक बयान बनिए वरना नाम के हुसैनी हैं किसी सम्मेलन में या किसी जमावड़े में अगर बुनियादी मुद्दों पर संजीदगी से बात नहीं की गई तो ये सिर्फ उन पचासों लाख रुपए की बरबादी है , और कुछ नहीं जो इन इजतेमात की सिर्फ पब्लिसिटी पर खर्च किया जा रहा है आज के मसाइल को देखिए , जिनसे हमको सरोकार है । जज्बाती मुद्दों में बहुत उलझाया जा चुका । वस्सलाम गुनाहगार और खादिम कल्बे सिब्तैन नूरी