लखनऊ- कोरोना महामारी की भेट बहुत से त्यौहार चढ़ गए हैं। जहा लोग होली, ईद, बकरीद, रमज़ान नहीं मना पाए तो वहीं मोहर्रम पर भी कोविड-19 का ग्रहण लग गया। कोरोना की वजह से प्रशासन की ओर से सावर्जनिक मजलिस और जुलूस की अनुमती नहीं मिली। वहीं आज 9वीं मोहर्रम को हज़ारो अज़ादारो से भरी रहने वाली सड़के पर भी सन्नाटा पसरा नज़र आया और पुलिस चप्पे चप्पे नज़र आई।
शिया मुसलमानो का गम का महीना मोहर्रम जिसमें सुबह से लेकर शाम तक मजलिसो का दौर जारी रहता था और हर मजलिस में हज़ारो की संख्या में अज़ादार शिरकत करते थे। लेकिन एक ऐसी बिमारी जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में कोरोना के अबतक 33 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में भी हर दिन हज़ारो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने कोविड-19 की गाइड लाइन के तहत सभी धर्मो के धार्मिक जुलूसो पर रोक लगा दी है जिससे बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा न हो और कोरोना फैलने का खतरा कम रहे।
लखनऊ जो की अज़ादारी के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। कोरोना वायरस की वजह से यहां भी इस साल सार्वजनिक मजलिस, मातम और जुलूस की परमीशन नहीं मिली है। ऐसे में लोग अपने घरो में ही सरकार की गाइडलाइन के तहत ऑनलाइन मजलिसे सुन रहे हैं।
क्योकी शनिवार और रविवार को उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन रहता है। ऐसे में पुराने लखनऊ में मोहर्रम के मद्देनज़र सुरक्षा के पुख्ता इन्तिज़ाम किए गए है। जगह जगह बैरीकेट और बल्लियां लगाकर पुलिस ने सुरक्षा सुनिश्चित की हैं। वहीं पुराने लखनऊ के चौक स्तिथ इमामबाड़ा आगा बाकर में भी मजलिस के दौरान पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद नज़र आई।